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प्रो. नरेश के. दधीच
(01 सितंबर, 1944 - 06 नवंबर, 2025)

आयुका द्वारा प्रो. नरेश के. दधीच के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया जाता है।

 

उद्देश्य
अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र: खगोलविज्ञान और खगोलभौतिकी (आयुका) भारत के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में सक्रिय समूहों के नाभिकन एवं वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई एक स्वायत्त संस्था है।  आयुका का मुख्य उद्देश्य खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में अध्यापन, अनुसंधान  एवं  विकास के लिए विश्वविद्यालयीन क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र बनना, रहा है। 

 

संस्थान की गतिविधियाँ
आयुका की गतिविधियाँ दो व्यापक  कार्यक्रमों में आती है: मूल शैक्षिक पाठ्यक्रम और अभ्यागत शैक्षिक कार्यक्रम । मूल शैक्षिक पाठ्यक्रम में बुनियादी अनुसंधान, पीएच.डी. पाठ्यक्रम, उन्नत अनुसंधान कार्यशालाएँ और शिविर, विशालकाय मीटर-वेव रेडियो टेलिस्कोप और अभ्यागत पर्यवेक्षक कार्यक्रम शामिल है। अभ्यागत शैक्षिक कार्यक्रमों में अभ्यागत और सहयोगी कार्यक्रम, शिक्षकों के लिए पुनश्चर्या पाठ्यक्रम शामिल है। ये कार्यक्रम भारतीय विश्वविद्यालयों में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी  संरचनात्मक विकास में मदद करते हैं।

समाचार एवं घोषणाएँ

निम्नलिखित सदस्यों को उनकी पदोन्नति एवं उन्नयन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ !


सुजित पुन्नडी
वैज्ञानिक अधिकारी एफ

दीपा मोदी
वैज्ञानिक अधिकारी एफ

संतोष जागडे
वैज्ञानिक अधिकारी ई

हितेश देशमुख
वैज्ञानिक एवं तकनीकी
अधिकारी डी

संदीप जोगळेकर
एम ए सी पी एस से
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    आयुका द्वारा सहर्ष सूचित किया जाता है कि दिवंगत प्रो. जयंत नार्लीकर एवं प्रो. सुहृद मोरे का चयन राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025 के लिए किया गया है।
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Figuer 1 आयुका अपने पीएचडी कार्यक्रम के लिए आयुका राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (आईएनएटी-2026) के माध्यम से आवेदनों को आमंत्रित करता है।
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